शिव पुराण - पार्वती का नामकरण | श्रीरुद्र संहिता - अध्याय 7
Description
शिव पुराण का यह अध्याय देवी पार्वती के जन्म, नामकरण और भगवान शिव से उनके दिव्य संबंध की कथा को विस्तारपूर्वक वर्णित करता है। इसमें बताया गया है कि कैसे देवी जगदंबिका ने हिमालय और मैना के घर जन्म लेकर पार्वती के रूप में अवतार लिया।
बाल्यकाल में पार्वती अत्यंत सुंदर, तेजस्वी और गुणों से युक्त थीं, जिससे हिमालय और मैना अत्यंत प्रसन्न थे। नारद मुनि ने हिमालय को भविष्यवाणी दी कि पार्वती का विवाह स्वयं भगवान शिव से होगा। इस कथा में सती के पुनर्जन्म की दिव्य लीला का भी उल्लेख है, जिसमें पार्वती को अपने पूर्व जन्म की स्मृति प्राप्त होती है।
भगवान शिव और पार्वती का प्रेम अलौकिक, शाश्वत और ब्रह्मांड के संतुलन का प्रतीक बताया गया है। नारद मुनि के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि सच्चा प्रेम और तपस्या ही ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग है। यह अध्याय शिव-पार्वती के पुनर्मिलन की कथा के रूप में भक्ति, प्रेम और त्याग का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
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